RAKHI Saroj

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लेखनी कहानी -04-Dec-2022

मंगल सूत्र


आशा ने‌ रोहन को फोन किया और आज‌ अपनी बहन के खोए मंगल सूत्र की बात बताई बातों ही बातों में‌। रोहन ने आशा की बताई बात पर‌ कहां अच्छा हुआ जो‌ लोग दान पुण्य नहीं करते उनके साथ ऐसा ही होना चाहिए। आशा को रोहन की यह बात पसंद नहीं उसने इसका जबाव देते हुए कहा, तुम किसी को कैसे ऐसे बोल सकते हो। वो पैसा कमाती है, अपनी मेहनत से कमाती है। क्यों वह अपनी मेहनत की कमाई किसी को दान में देंगी। अगर‌ तुम को‌ ऐसा लगता है दान पुण्य करना चाहिए तो करो मेहनत उनके बराबर पहुंच जाओ और फिर जितना दिल करें दान पुण्य करना। रोहन को आशा की बात पसंद नहीं आई ओर रोहन ने फोन रख दिया। आशा ने‌ रोहन से‌ बात करने के‌ लिए जब फोन किया तब रोहन ने फिर से झगड़ना शुरू कर दिया और झगड़ा करके फोन रख दिया। आशा ने‌ फिर फोन नहीं किया। यह सोच गुस्सा शांत होगा‌ खुद फोन कर‌ लेगा। किन्तु रोहन ने फिर फोन नहीं किया। एक रात ढलकर सूरज की किरणों से भरी लाली में ‌‌‌‌‌‌‌‌चमक आ गई और फिर सूरज की किरणों की लाली खो कर अंधेरे के साथ चांद की चांदनी आ बैठी लेकिन रोहन का फोन नहीं आया। दो दिन बीत चुके थे आज तक चार साल में कभी नहीं हुआ था कि आशा और रोहन की इतने समय तक बात ना हुई हो। रोहन हमेशा ही फोन कर‌ लेता था। अब आशा को एक नया सच दिखाई देने लगा था। रोहन का किसी ओर का हो जाना उसे समझ आने लगा था। 48 घंटे बीत चुके थे। रोहन ने पलट कर कुछ पुछना जरूरी नहीं समझा था। वही आशा अब हर उम्मीद की आशा को‌‌ खो रही थी। उसके दिल में हजारों सवालों का‌ से भरा दर्द समाने लगा था। दोस्तों से बात कर दिल बहलाने की कोशिशें नकाम हो‌ रही थी। अब चांद की चांदनी तो‌ थी लेकिन उसकी चमक पर अपना हक़ ना रहा हो‌ इसका एहसास ‌‌‌‌‌‌होने लगा था। रात ने खुद से रिश्ता रख आशा को दर्द में ‌‌‌‌‌‌‌‌‌छोड़ दिया था। आशा ‌‌‌‌‌ने‌ भी  उस रात अपना बिस्तर छोड़ कांटों की तरह गर्म धरती को अपना साथी बना चांदनी में लेट रात‌ के चार बजे तक की रात को‌ गुज़ार नींद का बहुत रस्ता देख, हार कर बैठ भगवान के सामने एक दिया जला बजा पुछ आंखों को‌ मुंद‌ कर अपने आंसूओं से ईश्वर को प्रणाम किया था। भक्ति और प्रेम से पूछें इस सवाल को‌ ईश्वर भी तथा अस्तु कहकर अपने प्रेम को निभा गए। सुबह 6 बजे खुली आंखों से एक सच को आशा ने जब पढ़ा उसको जो पता था उसके सच होने पर हजारों सवालों का तुफान सज़ा था। इंस्टाग्राम पर चल रही रोहन‌ की प्रेम लीला अब आशा से‌ जीने की आशा छीन‌ ले गई थी। आंखों में वह मैसेज देख बस आशा की दुनिया तबाह थी अब वह क्या करें इस सवाल को पूछने तलक की भी आशा नहीं थी। तभी......….....।
        राखी सरोज 
          

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5 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 08:08 AM

कहानी अधूरी लग रही है

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Rajeev kumar jha

04-Dec-2022 10:23 AM

बहुत खूब

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RAKHI Saroj

05-Dec-2022 01:19 AM

धन्यवाद आपका

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Vedshree

04-Dec-2022 10:19 AM

👌👌👌

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RAKHI Saroj

05-Dec-2022 01:19 AM

धन्यवाद आपका

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